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साथी को कैंसर हुआ, पुलिसकर्मियों ने दिए 2.31 लाख।

साहिबाबाद। महीना रमजान का है और ईद का इंतजार खुशियां ही देता है, लेकिन शहर के तुलसी निकेतन चौकी पर तैनात कॉन्स्टेबल मंसूर और उनके परिवार के जेहन में शायद ही किसी त्योहार का इंतजार बसा हो। वजह यह है कि ड्यूटी के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी और जांच हुई तो पता चला कि वे कैंसर की चपेट में है। अकेले कमाने वाले मंसूर के परिवार पर आर्थिक संकट आया तो पुलिस महकमा साथ नजर आया। थाने में तैनात 213 पुलिसकर्मियों ने मिलकर उनके पिता को तुरंत ही दो लाख 31 हजार रुपये की सहायता दी और आगे भी सहयोग का भरोसा दिया। कैंसर जैसी बीमारी के सामने यह रकम भले छोटी है, लेकिन इस परिवार के लिए विश्वास से भरी ईदी से कम नहीं है। साथियों ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की है।

हरदोई में लगी थी चुनाव ड्यूटी, वहीं बिगड़ी तबीयत।

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कॉन्स्टेबल मंसूर ने बताया कि लोकसभा चुनाव में वे हरदोई में तैनात थे। यहां तबीयत बिगड़ने पर उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में उन्होंने गाजियाबाद के अस्पताल में परीक्षण कराया तो ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई। अफसरों ने उन्हें जिला एमएमजी अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन तबीयत बिगड़ने पर एम्स (दिल्ली) रेफर कर दिया गया। वहां बेड न मिलने पर वे 24 मई को सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती हो गए। मंसूर के पिता मुरादाबाद के गांव उमरीकलां में खेती करते हैं। डॉक्टरों ने इलाज में 20 से 22 लाख रुपये खर्च बताया है। पिता अभी तक पौने 3 लाख रुपये इलाज में लगा चुके हैं। उनके परिवार में अम्मी-अब्बू, पत्नी रन्नूम, ढाई साल की बेटी फातिमा, चार महीने की बेटी कातिजा व 6 अन्य भाई भी हैं। परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी मंसूर पर ही है।

फरिश्ता साबित हुआ महकमा।

परेशानी के इस दौर में मंसूर के परिवार के पुलिस महकमा फरिश्ता साबित हुआ है। सीओ साहिबाबाद डॉ.राकेश मिश्रा ने बताया कि इस स्थिति का पता चलते ही थाने और चौकियों पर तैनात 213 पुलिसकर्मियों ने अपनी सैलरी से अंशदान किया और 2 लाख 31 हजार उनके पिता को सौंपे। पुलिस विभाग आगे भी उनकी सहायता करता रहेगा।

Reference: नवभारत टाइम्स, 5 जून 2019, पेज 03

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