मुंबई। बंबई उच्च न्यायलय ने बलात्कार के एक आरोपी को रिहा करते हुए कहा है कि प्रेम संबंधों में यदि लड़की स्वेच्छा से सहमति देकर यौन संबंध बनाती है तो यह बलात्कार नही कहा जा सकता। न्यायमूर्ति साधना जाधव ने 39 वर्षीय महेश कोटियाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया।
न्यायधीश ने कहा कि शिकायकर्ता पढ़ी लिखी और वयस्क है। याचिकाकर्ता ने उसे विवाह का प्रस्ताव दिया था, वह यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि आरोपी उसकी और आकर्षित है, उसने उसका जन्मदिन मनाने के लिए उसके साथ होटल में जाना स्वीकार किया। वह इसके परिणामों से भी वाफिक थी। वह मदद के लिए चिल्लाई नही और न ही उसने विरोध किया। न्यायमूर्ति जाधव ने कहा कि यह कहना उचित नही होगा कि डरा धमका कर लड़की की सहमति हासिल की गई। इन परिस्थितियों में आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत मामला नही बनता। लड़की ने पूछताछ में यह भी स्वीकार किया है कि आरोपी के साथ उसके प्रेम संबंध थे और वह उससे शादी करना चाहती थी। अदालत ने कहा “ ऐसा नही कहा जा सकता कि आरोपी ने विवाह का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाए। वह उससे विवाह करना चाहता था। आरोपी शादीशुदा था।
शिकायतकर्ता ने भी बताया है कि याचिकाकर्ता ने उसे भरोसा दिलाया था कि वह अपनी पहली पत्नी से तलाक लेने के बाद उससे विवाह करेगा। लड़की ने अपनी मां को चार महीने तक नही बताया कि वह गर्भवती है उसने अगस्त 2010 में एक बच्ची को जन्म दिया। 27 मई 2010 को प्राथमिकी दर्ज की गई और याचिकाकर्ता उसी समय से हिरासत में था। उसने बच्ची का पिता होने की बात कभी अस्वीकार भी नही की। अदालत ने आईपीसी की धारा 147 के तहत धोखाधड़ी से जुर्म में उसकी एक साल की सजा बरकरार रखी क्योंकि उसने लड़की से अपने पहले से ही विवाहित होने और अदालत में तलाक की कार्यवाही चलने की बात छुपाकर रखी थी।
Reference: राष्ट्रीय सहारा, 13 जुलाई 2013, पेज 01