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लीगल टेररिजम बन गया है दहेज कानून।

नई दिल्ली। अडिशनल सेशन जज कामिनी लॉ ने कहा है कि सेक्शन 498ए (दहेज उत्पीड़न) उगाही, करप्शन और मानवाधिकार के उल्लंघन का जरिया बन गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसे कानूनी आतंकावाद (लीगल टेररिजम) की संज्ञा देते हुए कहा था कि इसका दुरुप्रयोग हो रहा है। ये कानून बदला लेने और वसूली के लिए नही, गलत लोगों को सजा दिलाने के लिए है। कई बार पीडिता तथ्यों को बढ़ा चढ़ाकर पेश करती है। इससे जिन लोगों का कोई लेना नही होता, उन्हे भी आरोपी बना दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला शादी के बाद 12 दिन ससुराल में रही और इस दौरान उसने सभी को फंसाने की कोशिश की, उसने देवर की महिला दोस्त को भी नही छोड़ा, भला देवर की दोस्त दहेज के लिए कैसे इंट्रेस्टे़ड हो सकती है।


Reference: नवभारत टाइम्स, 12 जून 2013, पेज 01

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